पिछले दो महीने से जिस तेज़ी से मेरे जिंदगी में फेरबदल हो रहे थे Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai वो मेने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नही देखे थी……समीर का हमारे घर किरायेदार के टूर पर आना. और फिर उसे फातिमा के साथ सेक्स करते देखना, और फिर उसके बाबूराव का गुलाम बन कर रह जाना. और फिर निम्मी भाभी का ये किस्सा….मेरी जिंदगी में इतना सब कुछ दो महीनो के अंदर हो चुका था. और यही सब सोचते हुए, ये अंदाज़ा लगाने की कॉसिश कर रही थी कि, आगे आने वाले दिनो में पता नही और क्या क्या होगा….
उस दिन के दो दिन के बाद की बात है…..सोनिया सुबह स्कूल चली गयी थी…..फ़ारूक़ उस दिन घर से थोड़ा जल्दी निकल चुके थे…..और समीर भी जॉब पर जाने के लिए तैयार था….जैसे ही वो नीचे आया, तो उसने मुझसे फ़ारूक़ के बारे में पूछा, तो मेने उसे बताया कि, वो थोड़ी देर पहले ही निकल गये है……जैसे ही समीर को पता चला कि फ़ारूक़ घर पर नही है. उसने मुझे बर्मडे में ही बाहों में भर लिया….और मेरे होंटो को चूसने लगा…..और साथ –2 मेरे चुतड़ों को सलवार के ऊपेर से मसलने लगा….
आज बहुत दिनो बाद मुझे समीर की बाहों की गर्माहट मिल रही थी….में उसकी बाहों में जाते ही पिघलने लगी थी…..”ओह्ह्ह समीर मुझे कहीं भगा कर ले चलो…..मुझे अब तुमसे एक पल भी दूर नही रहा जा रहा…..” समीर ने मेरी आँखों में देखा, और मुस्कुराते हुए बोला….”मेरी जान चाहता तो में भी यही हूँ….पर में नही चाहता कि, मेरी वजह से तुम्हारा घर बर्बाद हो……थोड़ा सबर रखो…..हमे जल्द ही मौका मिलेगा….” ये कहते हुए उसने एक बार फिर से मेरे होंटो को सक किया, और जॉब के लिए चला गया….मेने मेन डोर बंद किया. और घर की सॉफ सफाई में लग गयी…..
घर का सारा काम निपटाने के बाद में घर में एक दम अकेली थी, दो दिन से निम्मी भाभी से भी बात नही हुई थी…इसलिए मेने अपने घर को लॉक किया, और निम्मी भाभी के घर की तरफ गयी….आज भी उनके घर का गेट खुला हुआ था….मेने इस बार गेट को नॉक करना सही समझा, और गेट नॉक किया…..निम्मी भाभी बरामदे में आकर बाहर देखने लगी, और मुझे गेट पर खड़ा देख कर बोली……”अर्रे रुखसाना तुम वहाँ क्यों खड़ी हो अंदर आओ ना” में घर के अंदर आ गयी….निम्मी भाभी ने बाहर बरामदे में एक पलंग रखा हुआ था…निम्मी भाभी उस वक़्त पोन्छा लगा रही थी…..
में वही पलंग पर बैठ गयी…..”रुखसाना आज क्या बात है….आज गेट नॉक क्यों कर रही थी. सीधे ही अंदर आ जाती…” मेने मुस्कुराते हुए निम्मी भाभी की ओर देखा और कहा…” भाभी वो मेने इस लिए गेट नॉक क्या था कि क्या पता आप किसी और ही काम में बिज़ी ना हों…” निम्मी भाभी भी मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगी….और पोन्छा लगाने के बाद गंदा पानी बाहर गली में फेंक कर गेट को लॉक किया, और बालटी को बाथरूम में रख कर मेरे पास आकर बैठ गयी….
निम्मी: रुखसाना आकाश उसी दिन चला गया था….में आज घर पर अकेली हूँ……वैसे तुमने सही किया कि गेट नॉक कर दिया….हमें दूसरे के घर में जाने से पहले गेट तो नॉक कर ही लेना चाहिए…पता नही अंदर क्या देखने को मिल जाए…..और हमें भी ऐसे काम गेट बंद कर के ही करने चाहिए…..पर शायद तुम आज गेट बंद करना भूल गयी थी….
में: (थोड़ा सा हैरान होते हुए) क्यों क्या हुआ भाभी….?
निम्मी: अब इसमें मेरी कोई ग़लती नही है….देखो में तुम्हारे घर आई थी सुबह….तब तुम उस लड़के से अपनी गान्ड मसलवा रही थी…तुम तो बड़ी तेज निकली रुखसाना…..घर में ही इंतज़ाम कर लिया हैं……..
निम्मी भाभी की बात सुन कर मेरा केलज़ा मुँह को आ गया….में फटी आँखों से निम्मी भाभी के चेहरे को देखने लगी….जिस पर एक अजीब सी मुस्कान छाई हुई थी…
.”अर्रे रुखसाना घबराने की कोई बात नही है….अगर मुझे तेरे राज का पता चल गया तो क्या.. तुझे भी तो मेरे बारे में सब पता है….देख रुखसाना में सब जानती हूँ कि, तूने जिंदगी में कभी सुख नही देखा…….मेने तो फिर भी अपने पति के साथ 2-3 साल अपनी सेक्स लाइफ एंजाय की है. पर तुझे तो शायद वो भी नसीब नही हुई……और तुझे अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक़ है…तू घबरा नही…..
हम दोनो एक दूसरे को कितने सालो से जानती है….हम दोनो ने एक दूसरे का बुरे वक़्त में साथ दिया है…..और में यकीन से कहती हूँ कि हम दोनो के ये राज हम दोनो के बीच में ही रहेंगे..पर ये बता तूने उस हॅंडसम लड़के को पटाया कैसे…..
में: अब में आपको कैसे बताऊ भाभी बस ऐसे ही ईक दिन अचानक से सब कुछ हो गया.
निम्मी: अर्रे बताना कैसे है…..जैसे मेने तुम्हे अपने और आकाश के बारे में बताया. देख मेने अपनी कोई बात नही छुपाई तुझसे अब तू भी मुझे सब बता दे…..
फिर निम्मी भाभी ने तब तक मेरे जान नही छोड़ी, जब तक मेने उन्हे सब कुछ डीटेल में नही बता दिया….”पर निम्मी भाभी अब फ़ारूक़ और सोनिया भी उस समय घर होते है, जब समीर घर पर होता है…भाभी में कई दिनो से तड़प रही हूँ…..समझ में नही आ रहा क्या करूँ.”
निम्मी: तो में किस दिन काम आउन्गी…….तू ये बता कि वो घर वापिस कब आता है….
में: भाभी वो शाम को 5 बजे के करीब घर वापिस आता है…..
निम्मी: और फ़ारूक़ भाई साहब….?
में: उनका कोई पता नही……वैसे तो 7 बजे आते है…..पर कभी कभार रात को 8 -9 बजे भी आते है….जब कभी अपने किसी नशेड़ी दोस्त के साथ पीने बैठे होते है…..
निम्मी: अच्छा ठीक है, में आज शाम को तुम्हारे घर आउन्गी…….और सोनिया को अपने साथ बातों में लगा कर बैठी रहूंगी. तुम मौका देख कर उससे चुदवा लेना……
में: हाए तोबा निम्मी भाभी आप कैसे बोल रही है ये सब…..
निम्मी: तो क्या हुआ, यार सेक्स में इन सब से बातों से और मज़ा आता है…..
में: पर निम्मी भाभी कही कोई गड़बड़ हो गयी तो ?
निम्मी: में हूँ ना……तू फिकर ना कर….में संभाल लूँगी….
उसके बाद में घर आ गयी, रोज मरहा के काम निपटाने लगी….3 बजे सोनिया घर वापिस आई. मुझे आज बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी कि, कही कोई गड़बड़ ना हो जाए. कही सोनिया को शक ना हो जाए….जैसे –2 5 बजने को हो रहे थे…..मेरा दिल रह-2 कर धड़क उठता….करीब 4:30 बजे निम्मी भाभी सन्नी को साथ लेकर हमारे घर आ गये…..और में सोनिया और निम्मी भाभी सोनिया के रूम में ही बातें करने लगी…..
करीब 5 बजे समीर घर पर आ गये…..मेने जाकर मेन गेट खोला और उसके अंदर आने के बाद गेट लॉक कर दिया….समीर सीधा ऊपेर चला गया….में फिर से सोनिया और निम्मी भाभी के पास आकर बैठ गये….हम थोड़ी देर इधर उधर के बातें करते रहे…..सोनिया साथ-2 सन्नी को उसका होमे वर्क भी करवा रही थी….थोड़ी देर बाद निम्मी भाभी ने मुझे इशारे से जाने के लिए कहा….”भाभी आप बैठते में ऊपेर से कपड़े उतार लाती हूँ….”
ये कह कर में रूम से बाहर आई, और ऊपेर जाने लगी…..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. कि कही सोनिया ऊपेर ना आ जाए…..क्या पता निम्मी भाभी सोनिया को संभाल पाएँगी भी या नही. पर चुनमुनिया में कई हफ्तों से आग लगी हुई थी…….में ऊपेर समीर के रूम आई तो देखा के समीर रूम में नही था…..में रूम से बाहर आई, और बाथरूम की तरफ जाने लगी….बाथरूम का डोर थोड़ा सा खुला हुआ था…..मेने पास पहुँच कर समीर को आवाज़ लगाई…….”समीर आप अंदर है क्या “
में बाथरूम के डोर के बिल्कुल पास खड़ी थी…….अंदर से कोई जवाब नही आया…बस पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी….फिर अचानक से बाथरूम का डोर खुला, और समीर ने बाहर हाथ निकाल कर मुझे अंदर खेंच लिया……में एक दम से घबरा गयी…..अंदर समीर एक दम नंगा खड़ा था….उसका बाबूराव हवा में झटके खा रहा था….उसके तने हुए 8 इंच के बाबूराव को देख कर मेरी चुनमुनिया में सरसराहट दौड़ गयी…..
समीर: कब से तुम्हारी वेट कर रहा था…..कितना इंतजार करवाती हो तुम……
में: वो नीचे सोनिया है इस लिए ऐसे नही आ सकती थी…..
समीर ने मेरी तरफ देखते हुए, मेरा हाथ अपने फूँकारते हुए बाबूराव पर रख दिया. मेरा पूरा बदन उसके गरम बाबूराव को अपनी हथेली में महसूस करते ही कांप उठा…..मेने अपना हाथ पीछे खेंचना चाहा तो समीर बोल पड़ा…..”क्या हुआ मेरी जान चूत में लेते हुए तो शरमाती नही……तो फिर इसे पकड़ने में कैसा शरमाना….” उसने फिर से मेरे हाथ को अपने बाबूराव पर रख दिया…..मेरी मुट्ठी अपने आप ही उसके बाबूराव पर कस्ति चली गयी….और उसके होन्ट मेरे होंटो के करीब आते गये….
फिर जैसे ही उसने मेरे होंटो को अपने होंटो में दबोचा, वो पागलो की तरह मेरे होंटो को चूसने लगा…..मेरी चुनमुनिया में तो जैसे उब्बाल आने लगा…..में उसकी बाहों में कस्ति चली गयी. उसने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरा नाडा खोल दिया….और फिर मेरे होंटो को छोड़ मेरी नेक मेरी चुचियों और फिर पैर से होते हुए नीचे जाँघो को चूमने लगा. और साथ ही उसने मेरी एक टाँग सलवार से बाहर निकाल दी…..
फिर वो खड़ा हुआ, मेरी वो टाँग जिसमे सलवार नही थी….उसे हाथ से ऊपेर उठा दिया…. मेरा पूरा बदन जैसे ही थोड़ा सा ऊपेर उठा…….उसने दूसरे हाथ को मेरी दूसरी टाँग के नीचे डालते हुए, मुझे हवा में उठा लिया, और मेरे कान में सरगोशी करते हुए, बोला. रुखसाना मेरी जान अपने यार लौडा का पकड़ कर अपनी फुद्दि में डाल ले….में उसकी बाहों में हवा में उठी थी….मुझे इस पोज़ीशन में बहुत शरम आ रही थी….उसने दोनो हाथों से मेरे चुतड़ों को दबोच रखा था…..मेने हाथ नीचे लेजा कर उसके बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनिया के छेद पर लगा दिया….समीर ने बिना एक पल रुके मेरे चुतड़ों को दोबचाते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा……
समीर का बाबूराव मेरी फुद्दि के दीवारो को चीरता एक ही बार में पूरा का पूरा समा गया. “ओह्ह्ह समीर आपने तो ही मार ही डाला अह्ह्ह्ह माँ…..” समीर ने हंसते हुए, मेरे होंटो को चूमा और फिर अपने बाबूराव को आधे से ज़्यादा बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा….समीर का बाबूराव फॅक की आवाज़ से मेरी चुनमुनिया की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ फिर से अंदर जा घुसा…. “आह समीर धीरे करिए ना….” मेने अपनी बाहों को समीर के कंधो के ऊपेर से उसकी पीठ पर कसते हुए कहा….मेरी चुचियाँ उसके चौड़े सीने में धँसी हुई थी…..
और उसका मोटा मुनसल जैसे बाबूराव मेरी चुनमुनिया की गहराइयों में समाया हुआ था…..”रुखसाना क्या धीरे करूँ……” समीर अब धीरे-2 मेरी चुनमुनिया में अपने बाबूराव को अंदर बाहर कर रहा था.. “ओह्ह्ह समीर धीरे करिए ना…..”
समीर: क्या धीरे करूँ…….
में: (कसमसाते हुए) उम्ह्ह्ह्ह जो आप कर रहे है……..
समीर: और में क्या कर रहा हूँ……
में: मुझे नही पता……(मेने शरमाते हुए अपने सर को समीर के कंधे पर रख दिया)
समीर ने मेरी गान्ड को दोनो तरफ से कस के पकड़ा और तेज़ी से अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनिया में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..जब उसका बाबूराव जड तक मेरी चुनमुनिया में समाता, तो उसकी जांघें मेरे चुतड़ों से नीचे से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगती…समीर के ताबडतोड धक्कों ने मेरी चुनमुनिया की दीवारों को रगड़ कर रख दिया….मेरी चुनमुनिया से पानी बह कर समीर के बाबूराव को भिगो रहा था….”ओह्ह्ह्ह समीर हां आईसीई हीए चोदो मुझे मारो मेरी फुद्दि को आह फाड़ दो मेरी फुद्दि आज…अहह में कंजरी हूँ….अह्ह्ह्ह चोदो मेरी चुनमुनिया को आह भर दो इसे अपने बाबूराव के पानी से…..
समीर: हां मेरी जान तेरी चुनमुनिया को अपने बाबूराव के पानी से भर दूँगा आज….
समीर अब पूरी ताक़त से मुझे हवा में उठाए हुए चोद रहा था……में समीर के बाबूराव को अपनी चुनमुनिया की गहराइयों में महसूस करके एक दम मदहोश हो चुकी थी कि, मुझे इस बात की परवाह भी नही रही कि, नीचे सोनिया भी घर में है….अब में भी अपनी गान्ड को आगे पीछे करने लगी थी….समीर मेरे होंटो को चूस्ते हुए अपने बाबूराव को पूरी रफतार से मेरी चुनमुनिया की गहराइयों में पेल रहा था…..
में: हाईए समीर मेरीए फुद्दि तो गयी हां ईए लो आ सीयी सीईईई उंह ईए लो मेरीईए फुद्दि ने पानी चोदा आ आह…..
समीर: ओह्ह्ह रुखसाना आ ईईए ली साली ईईए ली मेरीए बाबूराव का पानी आहह आह आह
हम दोनो झड कर हाँफने लगे…..थोड़ी देर बाद समीर का बाबूराव सिकुड कर मेरी चुनमुनिया से बाहर आ गया….समीर ने मुझे नीचे उतारा. मेने जल्दी से अपनी सलवार पहनी और बाहर आ गयी…..जैसे ही में बाहर आई, तो मुझे निम्मी भाभी ऊपेर आती हुई नज़र आई…..निम्मी भाभी मेरे पास आई और बोली…..”यार सोनिया बार-2 पूछ रही थी कि, अम्मी को इतना टाइम क्यों लग गया ऊपेर…….और ऊपेर आने को हो रही थी….मेने उसे मुस्किल से रोका है……सॉरी यार”
में: कोई बात नही निम्मी भाभी आप जिस काम के लिए आई थी वो तो हो गया…..
निम्मी: क्या हो गया…..पर तू तो अभी बाथरूम से बाहर आ रही है…इतनी जल्दी….
में: (निम्मी भाभी के कान में फुसफुसाते हुए) में जब ऊपेर आई थी तो समीर अंदर नहा रहा था….उसने मुझे अंदर ही खेंच लिया…..
निम्मी: बाथरूम में ही तेरी फुद्दि मार ली उसने कैसे……
में: (शरमाते हुए) वो मुझे ऊपेर उठा कर……..
निम्मी: क्या खड़े-2 ही तुझे उठा कर चोद दिया…..तेरी किस्मत वाह काश हमारी भी किस्मत ऐसी होती……
फिर हम दोनो नीचे आ गये….निम्मी भाभी कुछ और देर बैठी फिर वो अपने घर चली गयी. सोनिया मेरी तरफ थोड़ा अजीब नज़रों सी देख रही थी…..पर मेने कुछ जाहिर नही होने दिया.
कहानी अभी बाकी है दोस्तो
दोस्तो आप को कहानी कैसी लग रही है मुझे ज़रूर बताए मुझे आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा
एक औरत की दास्तान–18
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